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Thursday, September 9, 2010

आ जाए तू अगर...

अधूरी कहानी छोड़ी थी वहां
एक सिरा मिल जाए तो बस
बात बन जाए
कसमसाती धड़कनें चलने लगें
तू आवाज दे तो बस
बात बन जाए
क्यूं ढांक दूं मैं ये जख्म
तेरे प्यार ने जो दिया
तू आकर इसे छू जाए तो
बस बात बन जाए
सब सपने, वादे, इरादे
देख धुंधलाने लगे हैं
अपने अहसास से इन्हें
छंटा दे तो बस
बात बन जाए
वक्त अभी भी है जीने को
बस तेरा साथ मिल जाए
तो बात बन जाए