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Tuesday, July 24, 2012

प्रकृति से दो बात

इससे पहले कि
कोई मुझे पुकार ले
कि मैं व्यस्त हो जाऊं
इससे पहले कि
दिन शुरू हो और
अंतहीन सिलसिला चलेे निकले
इससे पहले कि
मेरा लाडला उठे और
उसे गोद में मैं उठाऊं
इससे पहले कि
मोह-माया मुझे खींचे
और मैं फिर बंध जाऊं हिंदी
चल चलें कुछ पल के लिए
जहां सबसे पहले
तू मेरे लिए, मैं तेरे लिए
जहां सबसे पहले
तू गोद में ले मुझे, सहलाए
जहां सबसे पहले
मैं पवन संग उडूं, तू गाए
पत्तों को छुऊं, तू गुनगुनाए
लंबी सांस लूं , तू लहराए
मैं तेरी खूबसूरती निहारूं
तू मेरी कमियां गिनाए
जहां सबसे पहले
हम खुशी और संतुष्टि
की दूरियां घटाएं
कुछ ऐसे कि एक-दूजे में
ये घुल-मिल जाएं
चल फिर एक बार आज
      सृजन करें
एक निच्छल कविता का.