न उनको हमसे परेशानी
ना हमको उनसे शिकवा
बस बात नहीं होती अब
ना नजरों से ना जुबानी
ना खैर पूछते, ना बताते ही खता
कल, परसों फिर आज भी किया
रोजाना करते हैं रह रह कर हम
उनसे ख्वाबों में गिला
हम समझ नहीं पाते, ना वो कह पाते
कह पाते कि क्यों है हालात यूं ख़फ़ा
कहने को है ही क्या, जानते हैं माजरा सारा
कि आसार अच्छे नहीं, वहां भी यहां भी
दूर थे तो पास आने की थी बेकरारी
बेगानी सी लगती थी कायनात सारी
पर अब क्या ?
पास हैं तो...
नजदीकियां दम घोंटने लगी हैं
Wednesday, June 30, 2010
Tuesday, June 29, 2010
शब्दों का संसार
शब्द जो खींचकर पीछे ले जाएं
शब्द जो नाचने लगें पन्नों पर
जो अहसास हैं उस पल का
जब हर क्षण यादों की माला में
गुंथ रही थी मेरी दुनिया
शब्द जो बचपन के साथ मुस्कुराएं
तुतलाएं जिंदगी में घुलमिल जाएं
यादों की बारात ले आएं
निच्छल हंसी के लम्हे
जब सब कुछ नया-नया सा
अजीब अनोखा था
वो अहसास अनमोल है
अपने शहर से दूर जाने का अहसास
पहली नौकरी का अहसास
पहले प्यार का अहसास
अहसास विविधता में एकता का
या फिर एकता के ढोंग का
वो अहसास बंद है डायरी के पन्नों में
पन्ने खोलते ही शब्द नाचने लगते हैं
और वो खोये लम्हे, वो बीते पल
खुद को दोहराने लगते हैं
तब, मन हरा हो जाता है
और पलकें नम
शब्द जो नाचने लगें पन्नों पर
जो अहसास हैं उस पल का
जब हर क्षण यादों की माला में
गुंथ रही थी मेरी दुनिया
शब्द जो बचपन के साथ मुस्कुराएं
तुतलाएं जिंदगी में घुलमिल जाएं
यादों की बारात ले आएं
निच्छल हंसी के लम्हे
जब सब कुछ नया-नया सा
अजीब अनोखा था
वो अहसास अनमोल है
अपने शहर से दूर जाने का अहसास
पहली नौकरी का अहसास
पहले प्यार का अहसास
अहसास विविधता में एकता का
या फिर एकता के ढोंग का
वो अहसास बंद है डायरी के पन्नों में
पन्ने खोलते ही शब्द नाचने लगते हैं
और वो खोये लम्हे, वो बीते पल
खुद को दोहराने लगते हैं
तब, मन हरा हो जाता है
और पलकें नम
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