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Tuesday, June 29, 2010

शब्दों का संसार

शब्द जो खींचकर पीछे ले जाएं
शब्द जो नाचने लगें पन्नों पर
जो अहसास हैं उस पल का

जब हर क्षण यादों की माला में
गुंथ रही थी मेरी दुनिया
शब्द जो बचपन के साथ मुस्कुराएं
तुतलाएं जिंदगी में घुलमिल जाएं
यादों की बारात ले आएं
निच्छल हंसी के लम्हे
जब सब कुछ नया-नया सा
अजीब अनोखा था
वो अहसास अनमोल है

अपने शहर से दूर जाने का अहसास
पहली नौकरी का अहसास
पहले प्यार का अहसास
अहसास विविधता में एकता का
या फिर एकता के ढोंग का

वो अहसास बंद है डायरी के पन्नों में
पन्ने खोलते ही शब्द नाचने लगते हैं
और वो खोये लम्हे, वो बीते पल
खुद को दोहराने लगते हैं
तब, मन हरा हो जाता है
और पलकें नम