आपने कुछ सुना... रुकिए... देखिए और महसूस कीजिए... पहली फुहार... टप-टप बरसती बूंदें और नहा गई सृष्टि। बादलों का राग सुनिए, बूंदों का साज सुनिए, हवा की सनसन सुनिए और सुनिए पंछियों का शोर।
भागती-दौड़ती जिंदगी में फुरसत के दो पल बटोरकर मासूम भीगी प्रकृति को कभी मन की आंखों से छूकर देखा है आपने। बड़े-बड़े कांच के शीशों से बस एक बार हाथ बाहर निकालकर बादलों की गोद से टूटकर बिखरी इन बूंदों को छुआ है आपने... जरूर सोचेंगे आप कि जिंदगी में इतना वक्त ही किसके पास है। लेकिन यकीन मानिए प्रकृति के करीब जाकर आप खुद के नजदीक पहुंच जाते हैं। कल भी, आज भी और कभी ना खत्म होने वाली प्रकृति का ये जादू आपकी परेशानियों को हल्का करके ताकत रखता है। साज, संस्कृति और संगीत के धनी इस देश में अगर आप निश्छल, मीठा और रागों से छलकता संगीत सुनना चाहते हैं तो जाइए... प्रकृति से जाकर मिलिए... उसका साक्षात्कार करिए, तभी आप आध्यात्म के चरम को भी छू सकते हैं। प्राकृतिक संगीत में नवजात की किलकारी के सुर भी हैं तो मां की ममता का ताल भी। विचलित, दुखी और परेशान मन एफएम के धमधम बजते शोर शोर में खोकर जिन सवालों के जवाब ढूंढता है वो सभी प्रकृति की गोद में आकर शांत हो जाते हैं।
बस एक बार, एक कोशिश और आप पल भर के लिए ही सही सभी दुखों से उठकर शान्ति पाने में सफल हो सकेंगे।
17 comments:
अब कहाँ प्रकृति और कहाँ वो उसके होने का अहसास! अब तो गाँवों में भी प्रदूषण, आपाधापी और दौड़भाग है।
फिर भी कोशिश करेंगे कि कभी समय मिला तो प्रकृति के उस आनंद को महसूस जरूर करेंगे जिस का जिक्र आपने किया है।
पहली पोस्ट के लिये बधाई और हिन्दी चिट्ठाजगत में हार्दिक स्वागत।
॥दस्तक॥
गीतों की महफिल
तकनीकी दस्तक
सादर अभिवादन कन्चन जी
पहले तो हिन्दी ब्लोग के नये साथियों मे आपका ढेर स्वागत है
बीते कुछ दिन मे हमारे आस पास आतंक और घ्रणा का बडा दुखद सा वातावरण रहा
और , कल पाकिस्तान की अति दुखद घटना के बाद एक न्यूज चैनल पे बहुत छोटे बच्चों को हथियारों सहित दिखया , उस पे एक मुक्तक सा लिखने मे आया , देखियेगा
" जिनकी आंखों मे तितली या तोते,चिडिया होने थे
जिन बच्चों के तन पे कपडे बढिया-बढिया होने थे
उनके हाथों मे बन्दूकें , बम , पिस्तौलें थमा दिये
जिन हाथों मे खेल खिलौने ,गुड्डे ,गुडिया होने थे "
सादर
डा. उदय ’ मणि’
http://mainsamayhun.blogspot.com
आपके ब्लाग का नाम खींच लाया
बेटी खुलकर बोलेगी
सारे बन्धन तोडेगी
आपके ब्लाग का नाम खींच लाया
mujhe bhi.
aur ab hum intezaar meN haiN.
BAHUT ACHHA LAGA...AGALI RACHNA KA INTZAR RAHEGA...
स्वागत है आपका!
बहुत बढ़िया... प्रकृति माँ की गोद में जो आनद है, सच में वो और कही नहीं है..
हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है....
nature se apnapan na dikhane ka parinam hee to akelapan hai. narayan narayan
aapki baton se sukoon mila .............
हिंदी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है ,आपके लेखन के लिए मेरी शुभकामनाएं ...........
स्वागत है आपका....
Welcome ...
अच्छा लिखा है आपने
आपका और आपके चिट्ठे का स्वागत है
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
aap ki bhasha prakriti jaisi hi khoobsoorat hai. aap nirantar likhiye aur achchha likhiye.
अच्छा लिखा है आपने
आपका और आपके चिट्ठे का स्वागत है
achche log acha sochte he karte he . meri suno pukar
www.vidhyaranijoshi.blogspot.com
Very nice comprehension and expression.Main abhibhoot ho gaya. Abhi abhi main apni Village Study puri kar ke wapas aaya hoon.Aap bahut achchha likhti hain.
Dhanyawad
ब्लोगिंग जगत मे स्वागत है
शुभकामनाएं
आप सभी दोस्तों को आज रंगो का त्योहार धूलेटी पर हार्दिक मंगल एवं सुभकामानाई
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