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Friday, August 7, 2009

....क्योंकि सवाल टीआरपी का है

........मीडिया मित्रगणों को समर्पित........









बोलो
ना कुछ पर कुछ आवाज जरूरी है
आंख बंद भी कर दो पर अहसास जरूरी है
शोर करना ही उद्देश्य हो सही पर
सरसरी पर सनसनी का लबादा जरूरी है

आवाज है आवाम की तू, समझ ले इसे
खुद के लिए निरीह सही पर
बेकसूरों की आह सुनाना जरूरी है

बोल कौन देखना चाहेगा

तिल-तिल बिखरता जीवन तेरा
कि 24 x7 परदे
सलाम जिंदगी गुनगुनाना जरूरी है

तूने खाया ना खाया क्या मतलब किसे
दिनभर की हलचलों को तफतीश से
नौ की बात में बताना जरूरी है

परिवार की सुध हो ना हो सही
खबरों की खबर लेनी है तुझे
भड़कीली साड़ियों का वो
जलवा
सास-बहू-साजिश के जरिए
घर-घर पहुंचाना जरूरी है

कब थमा दें प्यार भरा इस्तीफा तुझे
सो सबसे तेज़, सबसे ख़ास
अंदाज भरा तेरा आगाज़ जरूरी है

धूप-छांव, बारिश क्या चीज़ है नाचीज़
समझ ले तू कि जोकर है उनके लिए
चाहे कितना भी ढीठ हो, थाम डुगडुगी
खबरिया बंदर नचाना बेहद जरूरी है
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2 comments:

M VERMA said...

चाहे कितना भी ढीठ हो, थाम डुगडुगी
खबरिया बंदर नचाना बेहद जरूरी है
=====
चाहे गालिया ही मिले फि भी ---
बहुत खूब ---

Crazy Codes said...

"news" channel entertain kar rahe hai... "entertainment" channel par rulane ki dukaane khuli hai...
bhayi sab maya baajar hai...