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Wednesday, September 16, 2009

मवेशियों के चरवाहे... महामूरख



विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर साहब ने एक बयान दिया है....
इकोनोमी क्लास भेड़-बकरियों की क्लास है... बात तो सच है... भई इससे एक बात तो साफ हो गई कि देश के लगभग 80 प्रतिशत भेड़-बकरियों को हांकने वाले ये चरवाहे खुद बड़े बददिमाग हैं... तभी तो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की ये कड़वी सच्चाई दुनिया के सामने रख दी... कांग्रेस की कथित सादगी की शशि ने बखिया उधेड़कर रख दी है... लगे रहो... वेसे ये वो वही जनाब हैं जो यूएनओ के महासचिव की पद की दौड़ में भारत का झंडा ओढ़े दौड़ रहे थे... भई अच्छा हुआ महासचिव नहीं बने... वर्ना इस सोच-समझ के साथ उस प्रतिष्ठित गद्दी पर बैठते तो बंटाधार कर देते ये ठनठन गोपाल....

4 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

जब जनता को मवेशी बने रहने का शौक होगा तो चरवाहा बददिमाग क्यों न होगा।

ab inconvenienti said...

कुछ ग़लत तो नहीं कहा, एकॉनमी क्लास मे, या ट्रेन की जनरल बोगी या स्लीपर क्लास मे, बसों मे, सार्वजनिक परिवहन के साधनों मे हमें ढोर जैसे ही तो ट्रीट किया जाता है. विदेशों मे जन परिवहन के साधनों को कैटल क्लास ही कहा जाता है क्यों की उनमे लोगों को भेड़ बकरियों की तरह ठस कर यात्रा करने मजबूर किया जाता है.

स्वप्नदर्शी said...

Please do not blow this incident out of proportion. It was just a reply to that question. The public transport is not comfortable and accepting those terms and conditions as such is not wise. Unless you are open about situation, how can you improve things?

In the crowd of OUR ESTEEMED parliamentarians, presence of Shashi Tharoor and people like him is rare, who bring Academic excellence and international experience on board. Give these people a chance to do something.

मैं बोलूंगी खुलकर said...

स्वप्नदर्शी जी... महज शिक्षित नेता होने से जनता के नुमांइदे होने की जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता.. आप सामान्य इंसान से बढ़कर जनता के प्रतिनिधि हैं... किसी बात को किस तरह रखना है आपको ये पता होना ही चाहिए... शशि के बयान का आश्रय आप समझ गए लेकिन क्या सभी इस बयान का यही आश्रय समझे... इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ???????