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Thursday, August 5, 2010

... बात समझ में आई कि नहीं

लो जी इन्हें अब पता चला है। मुझे तो ये बात पहले से ही पता थी कि महिलाएं अच्छी पायलट भी हो सकती हैं। और फिर सपनों की उड़ान को महिलाओं से बेहतर गति कौन दे सकता है। पायलटों के सलेक्शन के लिए देश में एक कम्प्यूटराइज्ड मशीन बनी है जिससे ये साबित हुआ है कि महिलाएं पुरुषों से बेहतर उड़ान भर सकती हैं। वैसे एक बात बताऊं ये कम्यूटर-वम्प्यूटर तो अब हुआ है ना। अरे ये मशीन क्या खाक महिलाओं के व्यक्तित्व का खाका खींचेंगीं जब खुद ईश्वर ने ही महिलाओं को एक नायाब तोहफे से नवाजा है। और वो है एक जिंदगी को इस संसार में लाना। है पुरुषों में इतनी ताकत हो तो ये कर के दिखाएं बिना विज्ञान के सहारे। बच्चे को पैदा करने से लेकर उसे पालना, उसकी देखभाल करना क्या कम बड़ा काम है। आज सुष्मिता सेन जैसी सिंगल मदर का कॉन्सेप्ट जब सबके सामने है तो फिर हवाई जहाज उड़ाना क्या बड़ा काम है। महिलाओं को अगर पुरुषप्रधान समाज का शिकार ना होना पड़ता तो मैं कहती हूं कि पुरुष उनके सामने पानी भरते नजर आते। उस पर भी ये महिलाओं का बड़प्पन ही है कि वो आगे नहीं साथ-साथ चलना ही पसंद करती हैं। भारत में अब ये बात शायद समझ आने लगी है कि औरत सिर्फ बच्चा जनने की मशीन भर नहीं है उसमें दिमाग और ताकत दोनों ही है। मैं मानती हूं कि औरतों रचना उन्हें पुरूषों से थोड़ा कमतर ताकतवर बनाती हैं लेकिन मानसिक ताकत उस सब के पार है। तभी तो औरतों को सेना में बड़ी पोस्टों के लिए तैयार किया जा रहा है। अब बताइये औरत कहां नहीं है। घर के किचन से लेकर युद्ध के मैदान में भी वो कल नजर आए तो आश्चर्य क्या। और क्या पता औरतों के सरकारी नौकरी में रहने से भ्रष्टाचार के दलदल से कुछ कीचड़ ही कम हो जाए। पुरुषों के विरोध में ना जाकर मैं एक और बात जरूर कहना चाहूंगी कि अगर कोई औरत सुरेश कलमाड़ी की जगह भारतीय ओलंपिक महासंघ की अध्यक्ष होती तो भारत में कॉमनवेल्थ गेम्स का डंका पीटने के बजाय यकीनन एक बार राष्ट्रीय और स्थानीय खेलों या खिलाड़ियों की दुर्दशा के बारे में जरूर सोचती। औरत सबकुछ कर सकती है ये तो मैं नहीं कहूंगी क्योंकि पुरुष और औरत ही मिलकर समाज का निर्माण कर सकते हैं लेकिन समाज में बराबरी का हक और उचित दर्जा उसे मिलना ही चाहिए। और जितना जल्दी मिल जाए वही लोक कल्याण के लिए बेहतर विकल्प है।

1 comment:

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बस इसी काबिलियत के दम पर आगे बढ रही है महिलायें। अच्छी पोस्ट..... आप बस खुलकर बोलती रहें...... अच्छा लगा आपके विचार जानकर